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Friday, August 30, 2013

shubh kary ke muhurt

किसी भी शुभ कार्य के लिए जाते समय अगर तिथि ,और मुहूर्त का ध्यान रखा जाये तो कार्य में सफलता पाने के रास्ते आसान हो जाते हैं. यह  निश्चित तो नहीं की कार्य अवश्य सफल हो लेकिन हां पूर्ण होने की संभावना बढ़ जाती है,  और यदि हमारे कुछ थोड़ा बहुत कुछ करने से कार्य में  सफलता मिला जाये तो ईश्वर का ध्यान करने में क्या बुराई है ,ईश्वर अगर हमारे किये गए शुभ कार्यों का तुरंत फल नहीं देते तो ,  उसका बुरा फल भी  नहीं देते हैं।  तो क्यों न ईश्वर का ध्यान कर लिया जाये। कुछ लोगों का मानना है की हमने ऐसा किया था ,मगर हमारा ये कार्य सफल नहीं हुआ या हमको सफलता नहीं मिली ,ऐसा सोचना गलत है बल्कि हमें तो ये सोचना चाहिए की यदि हमारा कार्य पूर्ण नहीं हुआ तो ईश्वर ने हमारे लिए इससे भी अच्छा कुछ सोचा होगा।
किसी भी शुभ कार्य के लिए शुभ दिन और तिथि इस तरह हैं ---
         १. पंचक या गंड मूल न हो।
         २. राहु काल में कोई भी शुभ कार्य आरम्भ नहीं करना चाहिए।
         ३. चतुर्थी ,सप्तमी ,नवमी और अमावश्या को शुभ कार्य न शुरू करें। 
         ४,मकान बनाने के लिए या बदलने के लिए सोम और मंगल शुभ।
        ५. पढाई से सम्बंधित कार्यों के लिए ,परीक्षा आदि के लिए सोमवार ,वीरवार , और शुक्रवार शुभ होते हैं।
         ६ बाहर जाने से पहले पैर अवश्य धोने चहिये।

     . और अगर फिर भी कार्य करना आवश्यक हो तो अपने इष्ट का ध्यान करें ,मीठा खाएं और बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लेकर काम के लिए निकलें।

Tuesday, August 27, 2013

aja ekadashi

भाद्र पक्ष की कृष्ण पक्ष की एकादशी को अजा एकादशी मनाई जाती है । इस व्रत में आत्मशुद्धि तथा अध्यात्मिकता का मार्ग खुलता है ।

कथा----

  •   सूर्य वंश में राजा हरिश्चन्द्र का जन्म अयोध्या नगरी में हुआ था। राजा हरिश्चन्द्र के द्वार पट पर एक श्याम पट लगा था और जिसमें मडीयों से लिखा था ,"इस द्वार पर मुंह माँगा दान दिया जाता है ,कोई भी खाली हाथ नहीं जाता है "

    महर्षि विश्वामित्र ने पढ़ कर कहा यह लेख मिथ्या है।  राजा बोले 'आप परीक्षा कर लें महाराज "

    विश्वामित्र बोले --अपना राज्य मुझे दे दो। राजन ने कहा राज्य आपका है ,और क्या चाहिए ? 

    विश्वामित्र बोले- : दक्षिणा भी तो लेनी है "रहू ,केतु और शनि की पीड़ा भोगनी सहज है ,साढ़ेसाती का कष्ट भी सुगम है ,मेरी परीक्षा में पास होने बड़ा ही कठिन है। आपको मुर्दे जलने होंगे ,आपकी पत्नी को दासी बनना पड़ेगा। यदि आप इन कष्टों से भय नहीं तो हमारे साथ काशी चलें। 

    राजा पत्नी और पुत्र के साथ काशी गए वहां स्वयं श्मशान में डोम (शवों को जलने के लिए लकड़ी बेचने वाले ) बने ,पत्नी दासी बनी। 

    राजा के पुत्र को नाग ने डस लिया परन्तु ऐसी विपत्ति में भी राजन ने सत्य का मार्ग नहीं त्यागा। 

    परन्तु मन में शोक उत्पन्न हुआ।  उस समय गौतम ऋषि ने राजा को अजा  एकादशी का व्रत विधि पूर्वक करने को कहा।  राजा ने विधिपूर्वक अजा  एकादशी का व्रत पूजन किया और इस एकादशी के व्रत के प्रभाव से अपने पुत्र को जीवित पाया तथा पत्नी को आभूषणों से युक्त पाया।  एकादशी व्रत के प्रभाव से अनंत में स्वर्ग को प्राप्त हुए। 

    इस कथा के महात्म्य का फल अश्वमेघ यग्य के फल के सामान माना गया है। 

    इस दिन बादाम था छुहारे का सागार लिया जाना चाहिए।

Saturday, August 24, 2013

bhajan

तूने अजब रचा भगवान् खिलौना  माटी का ,तूने अजब रहका भगवान् खिलौना माटी का । 

  1. कान दिये हरि  गुण सुनने को ---२ 

                                         मुख से करो गुणगान ---खिलौना माटी का ----------

    २. मुख से भज हरि  नाम प्रभु का --२ 

                                         जीभ से करो  पहचान - खिलौना माटी का --------------

    ३. शीश दिये गुरु चरण नमन को -२ 

                                         हाथों से करो तुम दान - खिलौना माटी का ------------

    ४. आँख दई है हरि  दर्शन को -२ 

                                         मुख से करो गुणगान - खिलौना माटी का -------

    ५. पैर दिये तीर्थ करने को -२ 

                                          निश्चय हो कल्याण --खिलौना माटी का ----

    ६. राम नाम की नाव बनाकर -२ 

                                         भाव से हो जाये पार - खिलौना माटी का ------


Thursday, August 15, 2013

prarthana

  ऐसी कृपा करो भगवान् ,हरदम रहे तुम्हारा ध्यान।
 ऐसा दे दो द्रढ़ विश्वास ,आपको समझें अपने पास ।। 
 
करें तुम्हारा ही गुणगान , ऐसी कृपा करो भगवान्।
 सुख में आपको भूल न पाएं ,दुःख आने पर न घबराएं ।। 
 
सुख में दुःख में रहे समान  ऐसी कृपा कर भगवान्।  
करें जगत के सारे धन्दे  ,पर धंधों के पड़े न फंदे ।। 
 
जीवन होवे कमल समान ,ऐसी कृपा करो भगवान्
हर इक से हम करें भलाई ,किसी के साथ न करें बुराई ॥ 
 
ऐसे नेक बने इंसान ,ऐसी कृपा करो भगवान् ।
दयावान और परोपकारी ,सब के बन जायें हितकारी ।। 
 
सारे जग का चाहें कल्याण ,ऐसी कृपा करो भगवान्।
 गुण अपनाएं अवगुण छोड़ें ,झूठ ,कपट चल से मुख मोड़ें। 
 
नम्र बनें तज कर अभिमान ,ऐसी कृपा करो भगवन। 
हे जगदीश्वर अन्तर्यामी ,मिल कर हम सेवक हे स्वामी। 
 
मांग रहे तुम से वरदान ,सब को सुमति करो प्रदान। 
ऐसी कृपा करो भगवान् ।। 
 

putrda ekadashi

 
श्रावण माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी के रूप में पूजा जाता है । भगवन विष्णु की पूजा अर्चना करके उपवास रखा जाता है । व्रत ,पूजा के साथ ही भजन कीर्तन करते हुए श्री विष्णु भगवान् के समक्ष ही शयन भी किया जाना चाहिए । कहा ये जाता है की इस एकदशी के व्रत से पुत्र प्रप्ति होती है ।

कथा ----

            प्राचीन समय में महिष्मति नगरी में महीजित  नाम का राजा राज्य करते थे । अत्यंत शांतिप्रिय धर्मात्मा तथा ज्ञानी थे परन्तु उनके कोई भी संतान नहीं थी ,जिसके कारण राजा अत्यंत दुःख में डूबे रहते थे । एक बार राजा ने राज्य के समस्त मुनियों को बुलाया और संतान प्राप्ति का उपाय पूछा ,! इस पर परम ज्ञानी ऋषि लोमेश ने बताया की अपने पूर्व जन्म में श्रावण मास की एकादशी को प्यासी गाय को सरोवर में पानी पीने से से रोका था और उसी गाय के  श्राप से आप अभी तक निः संतान हैं। 
             अतः आप श्रावण मास की एकादशी का व्रत विधिपूर्वक करें तथा रात्रि जागरण कीजिये तो संतान की प्राप्ति अवश्य होगी।  तब राजा ने ऋषि की आज्ञानुसार  एकादशी का विधिपूर्वक व्रत किया,मुनियों और संत जनों को भोजन कराकर दक्षिणा दी , और  उन्हें  संतान की प्राप्ति हुई। 
              इस दिन गुड़ का सागार लिया जाना चाहिए /

Sunday, August 11, 2013

ganesh vandana

 

                                 गजानन कर दो बेड़ा पार ,आज हम तुम्हें बुलाते हैं । 

              तुम्हें मनाते हैं गजानन ,तुम्हें मानते हैं ॥-


  1. सबसे पहले तुम्हें मनावें ,सभा बीच में तुम्हें बुलावें । गणपति आन पधारो ,हम तो तुम्हें मनाते हैं ।। 
     २. आओ पार्वती के लाला , मूषक वाहन सुंड -सुन्डाला । जपें तुम्हारे नाम की माला ,ध्यान लगाते हैं ॥

     ३. उमापति शंकर के प्यारे ,तू भक्तों के काज सँवारे । बड़े-बड़े पापी तारे ,जो शरण में आते हैं ॥

     ४. लड्डू पेड़ा भोग लगावें ,पान सुपारी पुष्प चढ़ावें । हाथ जोड़ के करें वंदना ,शीश झुकाते हैं ॥

     ५. सब भक्तों ने टेर लगायी , सब ने मिलकर महिमा गाई । रिद्धि -सिद्धि संग ले आओ ,हम भोग लगते हैं ॥ 

Friday, August 9, 2013

naag panchmi

सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी मनाई जाती है । भारत वर्ष में नाग को देवता के रूप में पूजा जाता हैं । अधिकतर गर्मियों में सांप अपने बिलों से निकलते हैं ,मगर बारिश के दिनों में बिलों में पानी भर जाने के कारण नाग बिलों से बाहर आ जाते हैं और इन्हीं दिनों में प्रत्यक्ष रूप से नागों को पूजने की प्रथा वर्षों से रही है । इसी दिन कुछ जगहों पर लड़कियां जलाशय में कपडे की गुडिया बनाकर उनकी  पूजा करती  है और फिर विसर्जित  करने के बाद भीगे चने और पान अपने भाइयों को खिलाती है ।
इस वर्ष नाग पंचमी १ अगस्त २०१४ को पड़ रही है ।

कथा ----

               एक ब्राह्मण के सात पुत्रवधू थीं ,उनमें से छह बहुएं तो सावन माह में तीजें ,नाग पंचमी व् राखी करने अपने-अपने मायके चली जाती थी मगर सातवीं बहू के भाई न होने के कारण वो नहीं जा पाती थी जिसकी वजह  से दुखी रहती थी । 
               एक वर्ष सावन माह में उसने अत्यन दुखी होकर दीवार पर शेषनाग बनाकर उनकी पूजा और प्रार्थना की ,उसकी पूजा और प्रार्थना से प्रसन्न हो नाग देवता ने ब्राह्मण का रूप रखा और उसे लेकर नाग लोक आ गए। एक दिन शेषनाग जी ने उसे एक पीतल का दीपक देकर कहा इसे लेकर चलने से अँधेरे में परेशानी नहीं होगी 
               एक दिन उसके हाथ से दीपक गिर जाने के कारण २ छोटे साँपों की पूँछ कट गयी अतः शेषनाग जी ने विचार करके उसे उसकी ससुराल भेज दिया  । 
                 पुनः सावन आने पर उस वधू ने दीवार पर नाग देवता का चित्र बनाया और उनकी पूजा अर्चना करने लगी । इधर जिन नागों की पूँछ कटी  थी उनको जब अपनी पूँछ कटने  का कारण मालूम हुआ तो वो उस वधु से बदला लेने गए परन्तु अपनी ही पूजा होते देख वे बहुत प्रसन्न हुए और उनका क्रोध समाप्त हो गया ।
                  बहन स्वरूप उस वधू के हांथों से बनी खीर प्रसाद के रूप में पाया और उसे सर्प कुल  से निर्भय होने का वरदान दिया । उपहार में मणियों की माला दी । उन्होंने यह भी कहा श्रावण माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी को जो भी हमें भाई रूप में पूजेगा उसकी हम रक्षा करेंगे । तभी से इस पंचमी को बड़े धूम धाम से मनाया जाता है ,जगह-जगह मेला लगता है और झूले डाले जाते हैं ।

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हमारे घर में इस दिन चने बनाये जाते है जिसे हम घुघनी भी कहते हैं,सवेरे स्नान के पश्चात सबसे पहले चने खाए जाते हैं और फिर मेहँदी लगायी जाती है । और यह शायद उत्तर-प्रदेश में अधिकतर मनाया जाता है ।
शाम के समय कपडे से गुड़िया  बनाकर उसके साथ भीगे चने ,इलाइची और पान रख कर भाई के साथ जाते है चौराहे पर इसे डालकर या फिर किसी तालाब के किनारे इसे डालकर पीटा जाता है कारण आज तक समझ नहीं आया ।  पर आनंद बहुत आता था,यादें हमेशा से मन को गुदगुदा जाती हैं ।
आप सभी को नाग पंचमी की बहुत-बहुत शुभकामनाएं ॥ 

Friday, August 2, 2013

kamika ekadashi

श्रावण मॉस की कृष्ण पक्ष की एकादशी को कामिका एकादशी मनाई जाती है ,इसे पवित्रा  एकादशी भी कहते हैं । इस दिन विष्णु भगवान् को पंचामृत से स्नान कराकर तुलसी दल और तुलसी मंजरी से पूजा जाता है .

 कथा ---

  • प्राचीन काल में किसी गाँव में एक ठाकुर रहते थे जो बहतु क्रोधी स्वभाव के थे ,एक दिन उनकी एक ब्राह्मण से लड़ाई हो गयी ,परिणाम स्वरूप ब्राह्मण मारा गया . तब उन्होंने उस ब्राह्मण की क्रिया -कर्म करनी चाही मगर अन्य ब्राह्मणों ने भोजन से इनकार कर दिया  . तब उन्होंने निवेदन किया की भगवन मेरा पाप कैसे दूर होगा कोई उपाय बताएं .तब ब्राह्मणों ने कामिका एकादशी व्रत करने की आज्ञा दी । ठाकुर ने वैसा ही किया ऱत्रि में भगवान् की मूर्ती के पास शयन कर रहा था तभी उसे स्वप्न हुआ और भगवान् ने कहा हे ठाकुर !तेरा पाप दूर हुआ अब तू ब्राह्मण की तेरहवीं कर सकता है  ठाकुर ने तेरहवीं की और पाप से मुक्त हो गया  . 
  • इस दिन गाय के दूध का सागार लेना चाहिए ।;

Thursday, August 1, 2013

mantr

पूजा में मन्त्रों का बहुत महत्त्व है और इनका अगर लगन से जप किया जाये तो इनका हमारे जीवन पर बहुत असर पड़ता है .

१. मंगला चरण ---मंगलम भगवान् विष्णु ,मंगलम गरुड़ध्वजः ;मंगलम पुण्डरीकाक्ष  मंगलाय तन्नोहरि ;

२. सूर्य गायत्री मन्त्र ---ॐ आदित्याय विदमहे सहस्त्र किरनाय ,धीमहि तन्नो प्रचोदयात ;

३. श्री लक्ष्मी मन्त्र ------विष्णुप्रिया नमस्तुभ्यं जगद्दिते ,अर्तिहत्रि नमस्तुभ्यं सम्रद्धि कुरु में सदा;

४. श्री दुर्गा मन्त्र ----ॐ या देवी सर्वभूतेषु मार्तरूपेण संस्थिता ,नमस्तस्यै ,नमस्तस्यै ,नमस्तस्यै नमो नमः ;

५. हनुमत्त प्रार्थना ----मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं ,वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्री राम दूतं शरणम ;

६. परा शक्ति प्रार्थना --सर्व मंगल मांगल्यं शिवे सर्वार्थ साधिके ,शरण्ये त्रयम्बकं गौरी नारायणी नमोस्तुते ; 

७. बेल पत्रचढ़ाने चढाने  का मन्त्र ---त्रिगुणा -त्रिगुणा चारणम तीन नेत्र तीन जन्म पापसंहारणं ,एक बिल्व पत्र शिव अर्पणं ;

८. सांप भागने का मन्त्र ---" आस्तिक आस्तिक आस्तिक " ऐसा तीन बार हाँथ में सरसों के दाने लेकर बोलेन और जहाँ भी सांप के होने का भय हो वहां इस सरसों को बिखरा दें ;

९. चोरों से रक्षा का मन्त्र --"-कपिल मुनि ,कपिल मुनि ,कपिल मुनि " कहीं भी बहार जाते समय दरवाजे पर ताला लगाने के बाद तीन बार ताली बजाते हुए कहें और जायें ;

१०. बीमारी से छूटने का मन्त्र ----ॐ सरमस्तक रक्षा पारब्रहम ,हस्त्काया परमेश्वरं ,आत्म रक्षा गोपाला स्वामी धन गुरु रक्षा जगदीश्वरः सर्वरक्षा गुरुदयाले अभय दुःख विनाशं ,भक्त वत्सल अनाथानाथे सर्वरक्षा गुरुनानक पर उच्च्यते;

 इस मन्त्र को जिस भी रोगी की नज़र उतारनी  हो उसके सर से पाँव तक हाँथ फेरते हुए सात बार पड़ें और फूंक मारें ;