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Monday, April 21, 2014

वरूथनी एकादशी व्रत महत्व ,पूजा,विधि



                                                                                                                                                                    वरूथनी एकादशी का व्रत बैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को किया जाता है ,पाण्डु पुत्र युधिष्ठिर ने जब श्रीकृष्ण से पुछा-" कि बैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को क्या कहते हैं" ,तब श्रीकृष्ण जी ने बताया कि इस एकादशी को बरूथनी एकादशी के नाम से जाना जाता है  । 

महत्व -------

कहा जाता है -जो मनुष्य इस एकादशी को पूर्ण श्रद्धा से इस व्रत को करते हैं उन्हें दस हजार वर्ष तप करने से जो फल मिलता है वो ही इस व्रत के प्रभाव से मिलता है ,कन्या दान से भी उत्तम इस व्रत का फल है ,जो फल कुरुक्षेत्र में स्नान से मिलता है वो ही इस व्रत के प्रभाव से मिलता है। 


व्रत की विधि-------


इस एकादशी के व्रत के के दिन पूर्व यानि की दशमी को रात्रि में सात्विक भोजन करना चाहिए साथ ही शयन के लिए धरती का उपयोग करना चाहिए ,व्रती को प्रातः स्नान से निवृत होकर पूजन सामिग्री एकत्रित करने के उपरांत धूप ,डीप और धान्य से पूजन करना चाहिए । 

कथा ----


प्राचीन समय में नर्मदा नदी के तट पर  राजा मान्धाता राज्य सुख को भोग रहे थे ,राजयकाज करते हुए भी राजन अत्यधिक दानशील और तपस्वी थे , एक दिन जब राजन तपस्या में लीं थे उसी समय एक जंगली भालू ने राजा का पैर काटना शुरू कर दिया और थोड़ी ही देर में वह राजा को जंगल में ले गया ,राजा घर गए और उन्होंने भगवान विष्णु की आराधना की और शीघ्र ही श्री विष्णु वहां प्रकट हो गए, और उन्होंने अपने चक्र से उस भालू को मार गिराया ,पर तब तक भालू उनका पैर तो खा ही चूका था जिसके कारण राजा बहुत चिंतित हुए।
भगवान वुशनु जी ने कहा तुम मथुरा में जाकर मेरी वराह अवतार की पूजा करो और वरूथनी एकादशी का व्रत करो। राजन ने पूर्ण शर्द्धा से इस व्रत को किया और वो पहले जैसे सुन्दर अंगों वाले हो गए । 


Monday, April 14, 2014

हनुमान जयन्ती /hanuman jayanti /मंगल को जन्मे मंगल करने वाले जय वीर हनुमान



हिन्दू पंचांग के अनुसार हनुमान जयंती प्रतिवर्ष चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है. मान्यता है कि इसी पावन दिवस को भगवान राम की सेवा करने के उद्येश्य से भगवान शंकर के ग्यारहवें रूद्र ने वानरराज केसरी और अंजना के घर पुत्र रूप में जन्म लिया था. यह त्यौहार पूरे भारतवर्ष में श्रद्धा व उल्लास के साथ मनाई जाती है. 

रामायण के अनुसार वे जानकी के अत्यधिक प्रिय हैं. इस धरा पर जिन सात मनीषियों को अमरत्व का वरदान प्राप्त है, उनमें बजरंगबली भी हैं. हनुमानजी का अवतार भगवान राम की सहायता के लिये हुआ. हनुमानजी के पराक्रम की असंख्य गाथाएं प्रचलित हैं.

वर्ष 2015 में हनुमान जयंती दिनांक 4 अप्रैल दिन शनिवार को पड़ रही है। 

हनुमान जी की उपासना का मन्त्र यह है -------

                    अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं                            दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम् .                    सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं                             रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि..                    दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे च जनकात्मजा.                             पुरतो मारुतिर्यस्य तं वन्दे रघुनन्दनम् ..

इस मन्त्र का अर्थ इस प्रकार है ---------

   अतुल बल के धाम ,सोने के पर्वत (सुमेरु )के समान कांतियुक्त शरीर वाले , दैत्यरूपी वन (को ध्वंश करने ) के लिए अग्निरूप ,ज्ञानियों में अग्रगण्य ,सम्पूर्ण गुणों के निधान, वानरों के स्वामी ,श्रीरघुनाथजी के प्रिय भक्त पवनपुत्र श्री हनुमान को मैं प्रणाम करता हूँ ॥ जिनके दायीं ओर लक्ष्मण और बायीं ओर जानकी जी और साथ में हनुमान जी विराजमान हैं, उन रघुनाथजी की मैं वंदना करता हूँ ॥ 

दोहा -------

श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि.बरनऊँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार.बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार॥

दोहे का अर्थ इस तरह से है -------

श्रीगुरुजी के चरणकमलों की राज से अपने मन रुपी दर्पण को साफ़ करके मैं श्री रघुनाथजी के उस निर्मल यश का वर्णन करता हूँ ,जो चारों फलों को ( धर्म ,काम,अर्थ,मोक्ष ) को देने वाला है ॥
क्तों की मन्नत पूर्ण करनेवाले पवनपुत्र हनुमान के जन्मोत्सव पर इनकी पूजा का बड़ा महातम्य होता है. आस्थावान भक्तों का मानना है कि यदि कोई श्रद्धापूर्वक केसरीनंदन की पूजा करता है तो प्रभु उसके सभी अनिष्टों को दूर कर देते हैं और उसे सब प्रकार से सुख, समृद्धि और एश्वर्य प्रदान करते हैं. इस दिन हनुमानजी की पूजा में तेल और लाल सिंदूर चढ़ाने का विधान है. हनुमान जयंती पर कई जगह श्रद्धालुओं द्वारा झांकियां निकाली जाती है, जिसमें उनके जीवन चरित्र का नाटकीय प्रारूप प्रस्तुत किया जाता है. यदि कोई इस दिन हनुमानजी की पूजा करता है तो वह शनि के प्रकोप से बचा रहता है.

श्री हनुमान चालीसा ----

Hanuman
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर, जय कपीस तिंहु लोक उजागर |
रामदूत अतुलित बल धामा अंजनि पुत्र पवन सुत नामा ||
महाबीर बिक्रम बजरंगी कुमति निवार सुमति के संगी |
कंचन बरन बिराज सुबेसा, कान्हन कुण्डल कुंचित केसा ||
हाथ ब्रज औ ध्वजा विराजे कान्धे मूंज जनेऊ साजे |
शंकर सुवन केसरी नन्दन तेज प्रताप महा जग बन्दन ||
विद्यावान गुनी अति चातुर राम काज करिबे को आतुर |
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया रामलखन सीता मन बसिया ||
सूक्ष्म रूप धरि सियंहि दिखावा बिकट रूप धरि लंक जरावा |
भीम रूप धरि असुर संहारे रामचन्द्र के काज सवारे ||
लाये सजीवन लखन जियाये श्री रघुबीर हरषि उर लाये |
रघुपति कीन्हि बहुत बड़ाई तुम मम प्रिय भरत सम भाई ||
सहस बदन तुम्हरो जस गावें अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावें |
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा नारद सारद सहित अहीसा ||
जम कुबेर दिगपाल कहाँ ते कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते |
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा राम मिलाय राज पद दीन्हा ||
तुम्हरो मन्त्र विभीषन माना लंकेश्वर भये सब जग जाना |
जुग सहस्र जोजन पर भानु लील्यो ताहि मधुर फल जानु ||
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख मांहि जलधि लाँघ गये अचरज नाहिं |
दुर्गम काज जगत के जेते सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ||
राम दुवारे तुम रखवारे होत न आज्ञा बिनु पैसारे |
सब सुख लहे तुम्हारी सरना तुम रक्षक काहें को डरना ||
आपन तेज सम्हारो आपे तीनों लोक हाँक ते काँपे |
भूत पिशाच निकट नहीं आवें महाबीर जब नाम सुनावें ||
नासे रोग हरे सब पीरा जपत निरंतर हनुमत बीरा |
संकट ते हनुमान छुड़ावें मन क्रम बचन ध्यान जो लावें ||
सब पर राम तपस्वी राजा तिनके काज सकल तुम साजा |
और मनोरथ जो कोई लावे सोई अमित जीवन फल पावे ||
चारों जुग परताप तुम्हारा है परसिद्ध जगत उजियारा |
राम रसायन तुम्हरे पासा सदा रहो रघुपति के दासा ||
तुम्हरे भजन राम को पावें जनम जनम के दुख बिसरावें |
अन्त काल रघुबर पुर जाई जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई ||
और देवता चित्त न धरई हनुमत सेई सर्व सुख करई |
संकट कटे मिटे सब पीरा जपत निरन्तर हनुमत बलबीरा ||
जय जय जय हनुमान गोसाईं कृपा करो गुरुदेव की नाईं |
जो सत बार पाठ कर कोई छूटई बन्दि महासुख होई ||
जो यह पाठ पढे हनुमान चालीसा होय सिद्धि साखी गौरीसा |
तुलसीदास सदा हरि चेरा कीजै नाथ हृदय मँह डेरा ||









































                     दोहा ----- पवन तनय संकट हरन मंगल मूरति रूप |


                                                           राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप ||

      आप सभी को हनुमान जयंती की बहुत-बहतु शुभकामनाएं ,,,,,,जय श्री राम