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Thursday, May 7, 2015

बड़ा मंगल /लखनऊ शहर में जेठ में पड़ने वाले पहले मंगल को बड़ा मंगल कहा जाता है .

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मनाया जाने वाले बड़े मंगल  का विशेष महत्त्व है, यूँ तो वर्ष के सभी मंगल और शनिवार को श्री हनुमान जी की पूजा का विशेष फल मिलता है ,परन्तु जेठ के सभी मंगल पर हनुमान जी की विशेष कृपा होती है ऐसी मान्यता है ।
कहा जाता है की श्री राम की भक्ति और कृपा पाने का शीधा और सरल उपाय है हनुमान जी की आराधना  .
लखनऊ शहर में जेठ में पड़ने वाले पहले मंगल को बड़ा मंगल कहा जाता है,परन्तु जेठ माह में पड़ने वाले सभी मंगल को यहाँ विशेष पूजा,मेले लगाये जाते हैं।
नवाबों के इस शहर में मनाये जाने वाले इस त्यौहार की हिन्दू धर्म में ही नहीं अपितु विभिन्न धर्मों के लोगों में भी इसकी आस्था है ।

ऐसा कहा जाता है मुगलशासक नवाब मोहम्मद अली शाह का बेटा नवाब  सआदत अली काफी बीमार पड़ गया ,तब उनकी माँ छतर कुंवर जनाबे अलिया ने मन्नत मांगी और बाबा हनुमान की कृपा से नवा सआदत अली ठीक हो गए ,उनके स्वस्थ होने पर उनकी माँ ने अलीगंज के मंदिर की स्थापना करायी और उस समय से जेठ माह के मंगल को बड़े मंगल के रूप में मनाया जाने लगा । 
अलीगंज में ही मंदिर को बनवाए जाने की एक और रोचक कथा इस प्रकार है -
कहा जाता है कि मंदिर की स्थापना के लिए जब मूर्ती हाथी पर रख कर लायी जा रही थी तब हाथी अलीगंज के इसी स्थान पर बैठ गया काफी कोशिशों के पश्चात भी वह वहां से नहीं हिला तब इसी स्थान पर मंदिर की स्थापना की गयी । 
लगभग ४ सौ पुरानी यह परम्परा अब बहुत बड़ा रूप ले चुकी है । ऐसा कहा जाता है की जेठ के पहले मंगल को अलीगंज, दुसरे को हनुमान सेतु ,तीसरे को अमीनाबाद और चौथे मंगल को नका हिंडोला पर स्थापित हनुमान मंदिर में मेले का आयोजन किया जाता है,परन्तु अब तो पूरे शर के हर हनुमान मंदिर में ही जेठ के मंगल को पूजा अर्चना की जाती है । 
इस दिन जगह-जगह भंडारे ,पियाउ लगवाये जाते है ,लोग बड़ी श्रद्धा से भंडारे करते हैं पूरे दिन प्रसाद का वितरण होता है ,शरबत और पानी का वितरण किया जाता है । 
इस मंगल की महत्ता इतनी है कि लोग सूर्य उदय के पहले ही मंदिरों में पहुँच कर दर्शन करने जाते है ,जो लोग कोई भी मन्नत मांगते हैं पूरी होने पर जमीन पर लेट कर  जाते हैं। 
इस दिन जगह-जगह रामायण का आयोजन होता है ,कुछ लोग सुन्दरकाण्ड का पाठ भी करते हैं । 
जेठ की तप्ती दोपहर की फ़िक्र किये बिना ही लोग घंटों लाइन मैं लग कर दर्शन करने जाते हैं।