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Friday, June 12, 2015

योगिनी एकादशी


एकादशी व्रत वर्ष भर में २४ पड़ती हैं और एक माह में २ ,पंद्रह दिन के अंतराल पर एकादशी का व्रत पड़ता है ,एकादशी के व्रत का बहुत महत्व है और इस व्रत में विष्णु भगवान की पूजा अर्चना की जाती है।
योगिनी एकादशी आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी है -
यूँ तो किसी भी व्रत या पूजन में स्नान करने के उपरांत ही पूजन करने का विधान है ,इस एकादशी में स्नान से निवृत होकर साफ़ आसान पर बैठ कर विष्णु प्रतिमा को स्नान कराकर वस्त्र, तिलक चन्दन लगाकर विराजित कर पूजन किया जाना चाहिए।
 वर्ष २०१५ में यह व्रत दिनांक १३ जून को पड़ रहा है -

इस व्रत की कथा इस प्रकार है ---

 अलकापुरी में शंकर भक्त कुबेर जी रहते थे, पूजा के लिए हेममाली पुष्प लाया करते थे, उसकी स्त्री अति सुन्दर थी जिसका नाम विशालाक्षी था।  हेममाली एक दिन मानसरोवर से पुष्प तोड़कर घर लाया पत्नी की छवि देख कामातुर हो गया, पूजा के लिए लए पुष्प भूल वो पत्नी के संग क्रीड़ा में लींन हो गया।  कुबेर भंडारी राह देखते रह गए, गुप्तचरों द्वारा उसके कुकर्मों का पता चला। 
कुबेर ने माली को बुलाकर कहा ,"अरे पापी तूने पूजयवर जी का तिरस्कार किया है इस कारण से मैं तुझे श्राप देता हूँ ,नीच तू स्त्री के वियोग से दुःख भोगेगा,मृत्युलोक में जाकर कोढ़ी हो जायेगा "
कुबेर के श्राप से माली पृथ्वी पर गिराया गया, कोढ़ी बनकर कष्ट पाने लगा, शरीर से दुर्गन्ध आती थी परन्तु अन्तः करण उसका दर्पण के सामान शुद्ध था। 
शंकर जी की भक्ति के प्रभाव से उसे पिछले जन्म की स्मृति थी।  प्रायश्चित करने के लिए वह हरिद्वार आया, गंगा जी का स्नान किया परन्तु मधुमक्खियों ने उसका पीछा न छोड़ा।  अंत में पतित पावनि देव भूमि उतराखंड को चला देव प्रयाग होते हुए यमुनोत्री के तट पर पहुंचा जहाँ चिरजीवा महामुनि मार्कण्डेय जी का आश्रम था। 
उनके दर्शन से मक्खियाँ अपने आप अंतर्ध्यान हो गयीं, हेममाली उनके चरणों में गिरकर अपने अपराध की कथा सुनाकर उपाय पुछा , मार्कण्डेय मुनि जी ने आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी योगिनी के व्रत की विधि बताते हुए उसे इस एकादशी की विधिवत पूजन करने की आज्ञा दी और कहा इससे सब पापों से मुक्ति मिल जाएगी। 
हेममाली ने योगिनी एकादशी का व्रत किया और इसके प्रभाव से अपने दिव्य स्वरूप को प्राप्त हुआ। 
कहा जाता है की जो फल अठासी हज़ार ऋषियों को भोजन खिलने से मिलता है वो केवल योगिनी एकादशी के व्रत से ही मिल जाता है। 

फलाहार ---इस दिन मिश्री का सेवन किया जाना चाहिए