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Monday, August 24, 2015

पुत्रदा एकादशी


श्रावण माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी के रूप में पूजा जाता है । भगवन विष्णु की पूजा अर्चना करके उपवास रखा जाता है । व्रत ,पूजा के साथ ही भजन कीर्तन करते हुए श्री विष्णु भगवान् के समक्ष ही शयन भी किया जाना चाहिए । कहा ये जाता है की इस एकदशी के व्रत से पुत्र प्रप्ति होती है ।

कथा ----

            प्राचीन समय में महिष्मति नगरी में महीजित  नाम का राजा राज्य करते थे । अत्यंत शांतिप्रिय धर्मात्मा तथा ज्ञानी थे परन्तु उनके कोई भी संतान नहीं थी ,जिसके कारण राजा अत्यंत दुःख में डूबे रहते थे । 

                                       प्रस्तुत चित्र मैंने गूगल  से लिया है 
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दिनांक २६ अगस्त २०१५, श्रावण मास शुक्ल पक्ष की एकादशी पुत्रदा एकादशी के नाम से की जाती है. संतान सुख की आशा रखने वालों के लिए यह एकादशी अत्यधिक फलदायी बताई गयी है । 
इस एकादशी की कथा इस प्रकार है ----
एक बार राजा ने राज्य के समस्त मुनियों को बुलाया और संतान प्राप्ति का उपाय पूछा ,! इस पर परम ज्ञानी ऋषि लोमेश ने बताया की अपने पूर्व जन्म में श्रावण मास की एकादशी को प्यासी गाय को सरोवर में पानी पीने से से रोका था और उसी गाय के  श्राप से आप अभी तक निः संतान हैं। 
             अतः आप श्रावण मास की एकादशी का व्रत विधिपूर्वक करें तथा रात्रि जागरण कीजिये तो संतान की प्राप्ति अवश्य होगी।  तब राजा ने ऋषि की आज्ञानुसार  एकादशी का विधिपूर्वक व्रत किया,मुनियों और संत जनों को भोजन कराकर दक्षिणा दी , और  उन्हें  संतान की प्राप्ति हुई। 
              इस दिन गुड़ का सागार लिया जाना चाहिए /

Monday, August 3, 2015

सावन और शिव पूजन का महत्त्व


सावन माह का हिन्दू धर्म में विशेष महत्त्व है । चारों ओर हरियाली से भरपूर प्रकृति में एक असीम ही आनंद की प्राप्ति होती है।
साथ ही इस माह में शिव जी की पूजा का भी विशेष विधान है । सावन माह के सोमवार के व्रत का भी विधान है, लोग इस माह में मांस -मदिरा का त्याग कर देते है ,कुछ लोग बाल भी नहीं बनवाते हैं ,और पूरे सावन में शंकर जी के मंदिर में जलाभिषेक करते हैं । इस माह में शिव -पुराण पढ़ने  का विशेष महत्त्व है।
वर्ष २०१५ में सावन १ अगस्त से शुरू हो रहे हैं। 
सावन में ही नहीं अपितु हर माह में शिव पूजा का फल मिलता है ,  मगर सावन माह शंकर जी अति प्रिय है , कहा जाता है सावन में रुद्राभिषेक करने से उत्तम फल की प्राप्ति होती है । माता पार्वती ने शिव जी को पति के रूप में पाने के लिए कठिन तप किया था ।लोग कांवर ले कर जाते हैं और शिव धाम में जाकर जलाभिषेक करते हैं ।

  • पूरे  सावन में विल्व -पत्र चढाने से मोक्ष की प्राप्ति होती है .। 
  • विल्व -पत्र पर राम नाम लिख कर शिव जी पर चढ़ाएं । 
  • सावन में शहद या गन्ने के रस से अभिषेक का विशेष महत्त्व है .। 

शिव पुराण में भगवान् शिव पर विभिन्न पुष्पों की पूजा का क्या फल मिलता है इसका विस्तृत वर्णन है --

  • लाल डंडे वाले धतूरे के पुष्प चढ़ाने से उत्तम संतान की प्राप्ति  होती है । .
  • आयु की कामना रखने वाला यदि सावन माह में सवा लाख दूर्वा चढ़ाये तो दीर्घ आयु की प्राप्ति होती है । 
  •  तुलसी दल चढ़ाने वाले को मोक्ष की प्राप्ति होती है । 
  • सफ़ेद और लाल आक के पुष्प भोग और मोक्ष दोनों ही प्रदान करते हैं । 
  • बंधूक (दुपहरिया ) के पुष्प चढ़ाने से आभूषणों की प्राप्ति होती है । 
  • चमेली के पुष्प चढ़ाने से वाहन   आदि की प्राप्ति होती है ऐसा शिव पुराण में वर्णन है । 
  • शमी -पत्र चढ़ाने से भी मोक्ष की प्राप्ति होती  है । 
  • बेल ,जूही और कनेर के पुष्प वस्त्र ,और धन-धन्य दिलाने वाले होते हैं । 
  • राई  के पुष्प शत्रुओं पर विजय दिलाते हैं । 
  • चंपा और केवड़ा के अतिरिक्त सभी पुष्प शिव जी को प्रिय हैं । 
  • यदि आसानी से केवड़ा के पुष्प न मिलें तो केवड़ा जल से भी शिव जी का अभिषेक किया जा सकता है। 
  •  बिल्व पात्र पर राम नाम लिख कर अर्पित करने से अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है।

इन सभी पुष्पों को कम से कम सवा लाख की मात्रा में यदि चढ़ाया जाये तो अभीष्ट की प्राप्ति होती है .

  • भगवान शिव को चावल के अक्षत चढाने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है । 
  • किसी  भी पूजा  का फल तब प्राप्त होता है जब पूजा सच्चे मन और लगन से की जाये । 
सावन में गन्ने के रस से अभिषेक करने से गृह कलह से मुक्ति मिलती है । सवा लाख तिलों से शिवजी को आहुति दी जाये तो शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है ।

बोलो हर हर महादेव